परमेश्वर ने हमारे हृदय में उसकी खोज करने और उसे पा लेने की तड़प को डाल दिया है। सन्त अगस्तीन ने कहा है, “तूने हमें अपने लिए रचा है, और जब तक हमारे हृदय तुझे पा नहीं लेते तब तक बैचेन रहेंगे।” हम इस तड़प को “धर्म” के नाम से पुकारते हैं।
- मनुष्य के लिए परमेश्वर की खोज करना स्वभाविक है। सत्य के लिए हमारे सारे प्रयास और हर्ष अन्त में उसकी ही खोज करना है जो पूर्ण रूप से हमारी सहायता करता है, जो हमें पूर्ण रूप से सन्तुष्ट करता है और जो हमें अपनी सेवकाई में पूर्ण रूप से लेता है। एक व्यक्ति तब तक पूर्ण नहीं होता जब तक वह परमेश्वर को नहीं पा लेता। सन्त ऐडिथ स्टेन ने कहा था, “प्रत्येक व्यक्ति जो सत्य की खोज करता है वह परमेश्वर की खोज करता है, चाहे उसे इसका पता हो या नहीं।”