हम इस पृथ्वी पर इस लिए हैं ताकि हम परमेश्वर को जानें, उससे प्रेम करें, उसकी इच्छा के अनुसार भला जीवन जियें, और फिर किसी दिन स्वर्ग चले जाएँ।
मनुष्य होने का अर्थ परमेश्वर की ओर से आना और परमेश्वर की ओर ही चले जाना है। हमारा उद्गम हमारे माता-पिता की अपेक्षा कहीं दूर हमारे मूल की ओर चला जाता है। हम परमेश्वर की ओर से आते हैं, जिसमें स्वर्ग और पृथ्वी के सभी आनन्द पाए जाते हैं, और हम स्वयं को उसकी अनन्तकालीन, असीमित धन्यता में पाए जाने की अपेक्षा करते हैं। इस बीच हम इस पृथ्वी पर रहते हैं।
कई बार हम ऐसा महसूस करते हैं कि हमारा सृष्टिकर्ता निकट है, अक्सर हम कुछ भी महसूस नहीं करते हैं। ताकि हम अपने घर वापस जाने के मार्ग को पा जाएँ, परमेश्वर ने हमारे लिए अपने पुत्र को भेज दिया, जिसने हमें पापों से स्वतंत्र कर दिया, और जो हमें सारी बुराई से छुटकारा देता है, और जो हमें बिना किसी चूक के सच्चे जीवन के लिए अगुवाई देता है। वही “मार्ग, सत्य और जीवन है (यूहन्ना 14:6)”। आमीन।